न्यू टैक्स रिजीम, में मामूली टैक्स रेट में बदलाव। पहले स्लैब 3 के पहाड़े में था। 3 लाख तक NIL, 3 से 6 लाख 5%, 6 से 9 लाख 10%, 9 से 12 लाख, 15%, 12 से 15 लाख 20%, 15 से ऊपर 30%, अब इसमें, 3 से 6 लाख की बजाय, नया स्लैब 3 से 7 लाख 5%, नेक्स्ट स्लैब 10% वाला, 6 से 9 लाख की बजाय, 7 से 10 लाख का, उसके बाद 15% वाला स्लैब 9 से 12 लाख की बजाय, 10 लाख से 12 लाख, बाकी 12 से 15 लाख का स्लैब यथावत 20% और 15 लाख से ऊपर वही 30%.
ओल्ड टैक्स रिजीम की रेट्स में कोई बदलाव नहीं।
न्यू टैक्स रिजीम को बढ़ावा देने के लिए, सैलरीड एम्प्लॉई को स्टैंडर्ड डिडक्शन 50 हजार की बजाय, 75 हजार, 【सिर्फ न्यू टैक्स रिजीम वालों के लिए।】 4.फैमिली पेंशन पर स्टैंडर्ड डिडक्शन 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार। 【सिर्फ न्यू टैक्स रिजीम वालों को】
Non-Govt एम्प्लॉयर्स के लिए अपने कर्मचारियों के लिए NPS में कॉन्ट्रिब्यूशन पर धारा 36(1)(iva) में खर्चे की सीमा कर्मचारी के वेतन के 10% से बढ़ाकर 14% कर दी गई। 6.उक्त Non-Govt कर्मचारियों के लिए भी धारा 80CCD में NPS में कॉन्ट्रिब्यूशन की छूट वेतन के 10% से बढ़ाकर 14% की है।
इनकम टैक्स रैड(सर्च व सीज़र) के cases में year wise असेसमेंट की बजाय, ब्लॉक असेसमेंट होगा। पहले भी ऐसा सिस्टम चलता था। इसमें करंट ईयर+6 साल का एक ब्लॉक होगा। टैक्स की रेट 60% होगी। सरेंडर पर कोई पेनल्टी नहीं। यानि वापिस सरेंडर को बढ़ावा। अन्यथा, टैक्स की 50% पेनल्टी लगेगी 1 सितम्बर के बाद कि सर्च में ब्लॉक असेसमेंट होंगे 【पुराने 10 साल के केस, नहीं खुलेंगे, अब】
धारा 148 में फिर बड़े बदलाव (i) सर्वे के केसेज को भी अब सर्च की तरह से reopen किया जा सकेगा। (ii) धारा 135A में रिपोर्टेड इन्फॉर्मेशन पर रेओपेनिंग, के लिए स्पेसिफिएड ऑथोरोटी की अप्रूवल लेनी होगी। (iii) धारा 148A का नोटिस 3 साल तक दिया जा सकता है। लेकिन, धारा 148A के बाद, धारा 148 के लिए 3 महीने का एक्स्ट्रा टाइम, यानि 39 महीने तक दिया जा सकेगा। (iv) अगर एसकैपमेंट 50 लाख से ज्यादा का है, तो अधिकतम 5 इयर्स की Re-ओपनिंग हो सकती है। पहले की 10 साल की बजाय। औऱ 148A का नोटिस 5 साल तक और 148 के लिए एक्स्ट्रा 3 महीने यानी 50 लाख से ज्यादा एसकैपमेंट होने पर धारा 148 का नोटिस 63 महीने के भीतर दिया जा सकेगा। (v) स्पेसिफिएड ऑथोरोटी अब जॉइंट कमिश्नर या एडिशनल कमिश्नर होगा। (vi) नए प्रावधान 1 सितम्बर से लागू होंगे
ITAT में अपील फाइलिंग की टाइम लिमिट, अभी तक ऑर्डर कम्युनिकेट होने के 60 दिन के भीतर थी। अब, जिस महीने में ऑर्डर कम्युनिकेट हुआ है, उस महीने के बाद, दो महीने तक फाइलिंग हो सकेगी।
चैरिटेबल ट्रस्ट:- (i) धारा 10(23C)(iv),(v), (vi), (via) एक अक्टोबर से समाप्त (ii) एक अक्टूबर तक जो एप्लिकेशन इन धाराओं में लग चुकी होंगी, वे एप्लिकेशन इन्ही धाराओं में proceed होंगी। (iii) इन धाराओं में रजिस्ट्रेशन वाले ट्रस्ट, अपने सर्टिफिकेट की वैलिडिटी तक इन्ही धाराओं का बेनिफिट लेते रहेंगे। (iv) इन धाराओं के सर्टिफिकेट की वैलिडिटी समाप्त होने के बाद, रिन्यूअल की एप्लिकेशन धारा 12A में लगेगी। (v) 12A की एप्लिकेशन (All types)लगने में होने वाली delay condone के पावर CIT(E) को दे दिए हैं। (vi)धारा 12A/80G के रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लिकेशन फाइलिंग किए जाने वाले महीने के बाद, 6 महीने के भीतर निस्तारण अनिवार्य था। अब यह टाइम लिमिट, एप्लिकेशन फ़ाइल किए जाने वाले क्वार्टर के खत्म होने के बाद, से 6 महीने होगी
दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) पर कर, जो अन्य वित्तीय और गैर-वित्तीय संपत्तियों पर लागू होता है, को 20% से घटाकर 12.5% कर दिया गया है।
यह परिवर्तन 1 फरवरी, 2024 या उसके बाद किए गए पूंजीगत लाभ पर लागू होगा।