Piyush P Jain & Associates

आयकर विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले नोटिसों से बचने के लिए, आयकर रिटर्न भरते समय रखे जाने वाली सावधानियां

वर्तमान में हमारे देश में आयकर से संबंधित प्रक्रिया , आयकर अधिनियम , 1961 द्वारा नियमित / संचालित हैं। कर की परिभाषा , अलग अलग विद्वानों द्वारा अलग – अलग दी गई है , परंतु सामान्य व्यक्ति के दृष्टिकोण से इसे हम “ विकास की लागत “ के रूप में समझ सकते हैं ।

आयकर अधिनियम , 1961 , आयकर नियम , 1962 , विभिन्न नॉटिफ़िकेशंस , सर्कुलर्स , प्रोवाइज़ो , क्लॉज़ , सब क्लॉज़ , एक्सप्लेनेशंस इत्यादि , विस्तृत आयकर क़ानून का भाग हैं ।

हमारे देश भारत में आय को 5 स्तोत्रों में बाँटा गया है , जो कि निम्न लिखित हैं :-
वेतन से आय,
हाउस प्रॉपर्टी से आय ,
व्यापार एवं प्रोफेशन से आय ,
पूँजीगत लाभ से आय तथा
अन्य स्तोत्रों से आय ।

प्रत्येक व्यक्ति को , आयकर क़ानून के प्रावधानों के अनुसार , आवश्यक होने पर , कर निर्धारण वर्ष से संबंधित पूर्ववर्ती वर्ष ( previous year ) के लिए अपनी समस्त स्तोत्रों की आय की एक आयकर विवरणी , तय समय सीमा में , आयकर विभाग के पोर्टल पर , ऑनलाइन रूप से दाखिल करनी होती हैं ।

आयकर विवरणी एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है , जिसे बहुत ही सावधानी से , दाखिल किया जाना चाहिए । हमारे यहाँ , ऑडिट केस के अलावा , आयकर विवरणिका दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है , अतः इस लेख द्वारा यह प्रयास किया गया है कि , आयकर विवरणिका भरते वक्त ध्यान रखी जाने वाली सावधानियों को , सभी करदाताओं की जानकारी में लाया जाये ताकि एक सही आयकर विवरणी समय पर ( 31 जुलाई तक ) विभाग में प्रस्तुत की जा सके एवं करदाता राष्ट्र विकास में अपना योगदान दे सकें ।

आयकर विवरणी भरते समय रखी जाने वाली आवश्यक सावधानियाँ :-

  1. सही रिटर्न फॉर्म का चुनाव :- आयकर विवरणी दाखिल करने के लिए आई टी आर -1 से आई टी आर – 7 तक के फॉर्म उपलब्ध हैं । किस व्यक्ति द्वारा किन परिस्थियों में कौन सा फॉर्म भरा जाएगा , यह नियमों में स्पष्ट लिखा गया है । अतः आई टी आर भरते समय , सही रिटर्न फॉर्म का चुनाव अति आवश्यक है ।
  2. रेजिडेंशियल स्टेटस का निर्धारण :- आयकर अधिनियम के प्रावधानों के तहत , person का रेजिडेंशियल स्टेटस , Resident/ Non Resident या R & OR में से कौनसा है , इसका सही निर्धारण किया जानाजे चाहिए । क़ानून के अनुसार resident की आय देश में या देश के बाहर कहीं भी हो , कर के दायरे में आएगी वहीं Non Resident के केस में देश के बाहर कमाई गई आय , कर दायरे से बाहर होती हैं । अतः रेजिडेंशियल स्टेटस का सही निर्धारण बहुत आवश्यक है।
  3. रिटर्न का मिलान करदाता के बैंक खातों से करें ।
  4. रिटर्न का मिलान आयकर विभाग द्वारा प्रदत्त फॉर्म 26AS , AIS एवं TIS से करें ।
  5. करदाता द्वारा संबंधित वर्ष में ख़रीद की गई संपत्ति / इन्वेस्टमेंट के स्त्रोत का मिलान करें ।
  6. आयकर क़ानून के जानकार विशेषज्ञ से ही रिटर्न भरवायें ।
  7. आयकर छूट का क्लेम , दस्तावेजों की पूर्ण जाँच के बाद ही करें। दस्तावेजों को सुरक्षित रखें।
  8. आयकर विवरणिका समय पर ही प्रस्तुत करें।
  9. आय पर बनने वाला अग्रिम आयकर / स्व कर निर्धारण कर समय पर जमा करवायें ।
  10. कर निर्धारण वर्ष से संबंधित पूर्ववर्ती वर्ष के लिए , करदाता के आय के हर स्रोत की आय , विवरणी में शामिल करें ।
  11. नक़दी ट्रांजेक्शन जैसे गिफ्ट्स , ख़रीद , बिक्री को भी आयकर विवरणी भरते वक्त consider करें ।
  12. deemed इनकम जैसे , deemed dividend ,second house आदि को भी आयकर विवरणी भरते वक्त consider करें ।
  13. धारा 56(2) के विभिन्न प्रावधानों ( deemed गिफ्ट्स ) का भी ध्यान रखा जावें ।
  14. टी डी एस का claim करने से पहिले यह अवश्य check करें कि , जिस आय पर कटौती हुई है , उसे विवरणी में दिखा दिया गया है।
  15. संशोधित विवरणी प्रस्तुत करते वक्त , समय सीमा का भी ध्यान रखा जावे।
  16. Old regime vs New Regime का चयन तुलनात्मक विश्लेषण के बाद करें। कृपया ध्यान रखें कि वर्तमान में New Regime ही डिफॉल्ट सिस्टम है।
  17. आयकर विवरणी को ई वेरीफाई दी गई समय सीमा में अवश्य करें।
  18. व्यापार से आय की विवरणी भरते वक्त टर्नओवर को जी एस टी में घोषित टर्नओवर से मिलान करना भी आवश्यक है।
  19. ब्याज की प्राप्ति को भी धारा 80 TTA / 80 TTB की छूट के बाद दिखाना आवश्यक है।
  20. करदाता द्वारा अपने सभी बैंक खातों को रिटर्न में दिखाना आवश्यक है।
  21. कुछ परिस्थिति में , आयकर क़ानून में , आयकर रिटर्न की फाइलिंग कंपलसरी की गई है , अतः करदाता को उन परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अपनी आयकर विवरण अवश्य पेश करनी चाहिए।
  22. करदाता को अपनी personal details एवं primary informations जैसे E Mail address , Mobile No , Address आदि सही सही भरना चाहिए।
  23. मृत व्यक्ति की आयकर विवरणी , उनके क़ानूनी उत्तराधिकारी द्वारा भारी जानी चाहिए।
  24. करदाता को 50 लाख रुपये से अधिक की आय पर अपनी assets and liabilities की details आवश्यक रूप से भरनी चाहिए।
  25. करदाता को आयकर विवरणिका में अपनी विदेश में सम्पति एवं विदेश में आय की भी आवश्यक रूप से जानकारी प्रदान करनी चाहिए।
  26. करदाता को अपनी कर मुक्त आय की जानकारी भी विवरणी / computation में देनी चाहिए।
  27. करदाता को अपने को प्राप्त आयकर रिफ़ंड पर ब्याज को भी आयकर विवरणी में दर्शाना चाहिए।
  28. Clubbing प्रोविजन का भी ITR भरवाते वक्त ध्यान रखा जाना चाहिए।
  29. crypto करेंसी से संबंधित ट्रांजैक्शंस का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है।
  30. इस बार ITR फ़ार्म्स में कुछ major बदलाव हैं । आयकर विवरणी भरते समय उन सभी बदलावों की तैयारी आवश्यक है