वसीयत अभी भी हमारे यहां कोई आम नहीं है और अधिकांश लोग अपने जीवन काल में वसीयत नहीं करते हैं। एक व्यक्ति अपने जीवन काल में ही यह घोषित कर देता हैं कि उसकी स्वयं की प्रॉपर्टी एवं सम्पति यथा कैश, शेयर, सोना, चांदी इत्यादि को अपनी मृत्यु के बाद किस तरह बांटना चाहता है। वसीयत में वह अपनी स्वयं के स्वामित्व की प्रॉपर्टी एवं सम्पति बांटने की एक वैधानिक प्रक्रिया प्रारम्भ कर सकता है जिसकी ‘परिणिति उसकी मृत्यु के बाद ही होगी और इस तरह वह अपनी मृत्यु के बाद अपने वारिसों के मध्य प्रॉपर्टी को लेकर विवादों को भी कम से कम कर सकता है। वसीयत के बिना किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके हिस्से तो कानूनन तय होते हैं लेकिन व्यवहारिक रूप से किसी एक प्रॉपर्टी के हिस्से कैसे किये जाएं इस पर विवाद तो होता ही है और इसका इलाज है वसीयत।
वसीयत किसी अनजान व्यक्ति के नाम भी जा सकती हैं। हां यदि वह आपकी स्वयं के स्वामित्व वाली सम्पति या प्रॉपर्टी हैतो आप किसी भी व्यक्ति के नाम वसीयत कर सकते हैं। उदाहरण के लिए प्रियंबदा बिडला का केस तो सुना होगा जिसमें उन्होंने अपने सलाहकार राजेद्र एस. लोढा के नाम अपनी 5 हजार करोड़ रु. की सम्पति वसीयत कर दी थी।
वसीयत करने के लिए क्या चाहिए?
इसके लिए आपकी सम्पति का ब्यौरा महत्पूर्ण है ताकि आपके बाद उसे चिन्हित कर पहचाना जा सके और इसके अतिरिक्त वसीयत में अगर-मगर की जगह स्पष्ट होनी चाहिए लेकिन आप चाहे तो ऐसा भी कर सकते हैं कि आपकी पत्नी के जीवन पर्यन्त सारी प्रापर्टी उनके पास रहे और उनकी मृत्यु के बाद उसे कैसे बांटना है यह अपनी वसीयत में लिख सकते हैं। दो स्वतंत्र गवाह होने चाहिए जिनके सामने यह वसीयत आपने दस्तखत की है।
किसी विश्ववसनीय को भी दे सकते हैं वसीयत
वसीयत का रजिस्टर्ड होना जरूरी नहीं है आप वसीयत कर अपने किसी विश्वसनीय व्यक्ति को दे सकते हैं और उसकी गोपनीयता भी बनाये रख सकते हैं। व्यवहारिक यही है कि वसीयत की गोपनीयता बनाए रखी जानी चहिए। वसीयत का कोई ड्राफ्ट हो ऐसा जरुरी नहीं है ना ही इसपर किसी स्टाम्प की जरुरत होती है फिर भी वसीयत को विश्वसनीय बनाए रखने के लिए आप इसे किसी भी अर्थात कितने भी रूपये के स्टाम्प पेपर पर किसी जानकार एक्सपर्ट भी लिखवा सकते हैं जिसे आप सारा ब्यौरा दे दें, यदि आप अपनी वसीयत स्पष्ट रूप से दो गवाहों की उपस्तिथि में साधारण कागज पर भी लिख दें तो भी वह एक वैधानिक वसीयत ही होती है लेकिन फिर भी आप वसीयत को गंभीर और वैधानिक रूप से स्पष्ट दस्तावेज बनाने के लिए आप स्टाम्प का प्रयोग करें।
कभी भी लिखी जा सकती है वसीयत
जीवन नश्वर है और अब उम्र भी हो चुकी है और ना जाने कब कोई अनहोनी हो जाए। यही तो शब्द वसीयत में लिखे जाते हैं और यही शास्वत सत्य भी है इसलिए अब यदि आपकी उम्र 60 साल से अधिक है तो फिर आपको एक बार वसीयत के बारे में सोच लेना चाहिए। वैसे वसीयत कभी भी की जा सकती है और जब भी आपको ध्यान आये वसीयत लिख देना चाहिए।